| 1. | उसे निज सायुज्य पदवी तुम सहर्ष प्रदान करती
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| 2. | निर्गुण उपासकों को यही ब्रह्म सायुज्य मिलता है।
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| 3. | ईश सायुज्य हो उस क्षण, विजित जब सहस्त्रार
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| 4. | है जो सायुज्य भक्ति की चरम सीढ़ी
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| 5. | होते हैं, जिनके सायुज्य से युग्मक (
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| 6. | होते हैं, जिनके सायुज्य से युग्मज (
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| 7. | अग्निरेव तर्हि भवत्यग्नेरेव सायुज्य सलोकतां जयति..
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| 8. | 4, निखिल तत्व सायुज्य भगवती राज राजेश्वरी
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| 9. | इन दोनों में ही अविनाभावी सायुज्य है।
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| 10. | ज्ञानी की लयात्मक सायुज्य मुक्ति होती है।
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