मुझे उन पत्तियों में एक तालबद्ध, नादपूर्ण और सराग कर्तव्य
3.
सुख-सुवास सराग उपवन, त्यक्त सा अब क्यूँ भ्रमर से ।।
4.
(हिन्दी में) नाराच छन्द: सराग देव देख मैं भला विशेष मानिया।
5.
वह स्पष्ट जान लेता है, कि इसका चित्त सराग है या वीतराग।
6.
मुझे उन पत्तियों में एक तालबद्ध, नादपूर्ण और सराग कर्तव्य निष्ठता निनादित होती लगी।
7.
लेना किस किससे बैराग है क्या आपको इसका अंदाज है जिससे बैराग लेना चाहेंगे पहले उसे पूरा तो जानना चाहेंगे तो जान लें एक बार प्रयोग कर लें फिर लेना चाहें तो बैराग लें या सराग बने रहें