कान का खूँट, उपस्थ प्रदेश का शिश्नमल और नवजात शिशु के शरीर का भ्रूणमल (
2.
1950 और 1960 दशक के प्रारंभिक अनुसंधान ने शिश्नमल (जैसे हेइन्स इत्यादि 1958) पर दोष लगाया,[70] लेकिन 1970 दशक तक मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (
3.
1950 और 1960 दशक के प्रारंभिक अनुसंधान ने शिश्नमल (जैसे हेइन्स इत्यादि 1958) पर दोष लगाया, लेकिन 1970 दशक तक मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) की पहचान नहीं की जा सकी थी.