तृतीय वेन्ट्रिक्ल दाएं एवं बाएं थैलेमस के बीच में लेटरल वेन्ट्रिकल के नीचे स्थित रहता है।
2.
हृदय-रोधगलन में रोगी की कभी भी वेन्ट्रिकल फिब्रिलेशन, हृदय के फटने या अन्य प्राणलेवा स्थिति से मृत्यु हो सकती है।
3.
चतुर्थ वेन्ट्रिकल के पार्श्व में दो छिद्र होते हैं, जिन्हें फोरामिना ऑफ लस्चका (formina of Luschka) कहते हैं।
4.
चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल तृतीय वेन्ट्रिकल के नीचे, पोन्स एवं मेड्यूला (आगे) तथा सेरीबेलम (पीछे) के बीच में स्थित चौरस पिरामिडी गुहा (flattened pyramidal cavity) होती है।
5.
दोनों लेटरल वेन्ट्रिक्ल्स से स्रावित होने के बाद यह द्रव इन्टर-वेन्ट्रिक्यूलर फोरामिन (छिद्र) से होकर तृतीय वेन्ट्रिकल में जाता है और इसके बाद एक संकरी नली-एक्वीडक्ट ऑफ सिलवियस (aqueduct of Sylvius) के माध्यम से चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल में जाता है।
6.
नाइट्रेट्स चयापचित हो कर नाइट्रिक-ऑक्साइड बनाते हैं, जो वाहिकाओं का विस्तारण करते हैं, हृदय की ऑक्सीजन की जरूरत कम करते हैं, रक्तचाप कम करते हैं, फेफड़ों की वाहिकाओं और वेन्ट्रिकल में रक्त का दबाव कम करते हैं, बिम्बाणुओं का चिपचिपापन कम करते हैं, कोरोनरी-धमनियों में रक्त-संचार बढ़ाते हैं और इनफार्क्ट का आकार छोटा करते हैं।
7.
ये फुफ्फुसीय शिराएं फेफड़ों के हाइलम (hilum) से होकर बाहर निकलती है और शुद्ध (ऑक्सीजन युक्त) रक्त को हृदय के बाएं अलिंद (atrium) में पहुंचाती है, जहां से रक्त बाएं निलय (वेन्ट्रिकल) में चला जाता है और फिर महाधमनी (aorta) और उसकी शाखाओं के द्वारा पूरे शरीर में फैल जाता है।
परिभाषा
शरीर शास्त्र के अनुसार हृदय के उन दो बड़े कोष्ठों में से एक जो नीचे की ओर होता है और जो दो भागों में बँटा होता है तथा जिससे शुद्ध रक्त शरीर के सभी भागों में भेजा जाता है:"अलिंद और निलय के बीच छिद्र होता है" पर्याय: निलय, वेन्ट्रकल,