जंतुओँ को (और ऐसे पौधों को जो पोषण के लिए दूसरे पर निर्भर हैं) विषमपोषी कहते हैं।
2.
पोषण (nutrition) वह विशिष्ट रचनात्मक उपचयी क्रिया जिसके अन्तर्गत पादपों में संश्लेषण तथा स्वांगीकरण और विषमपोषी जन्तुओं में भोज्य अवयव के अन्तःग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण द्वारा प्राप्त उर्जा से शारीरिक वृद्धि, मरम्मत, ऊतकों का नवीनीकरण और जीवन क्रियाओं का संचालन होता है, सामूहिक रूप में पोषण कहलाती है ।
3.
स्वपोषी से ऊर्जा विषमपोषी एवं अपघटकों तक जाती है जैसा कि ‘ऊर्जा के स्रोत ' नामक पिछले आलेख में हमने जाना था कि जब ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है, तो पर्यावरण में ऊर्जा की कुछ मात्रा का अनुपयोगी ऊर्जा के रूप में ह्रास हो जाता है।
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स्वपोषी से ऊर्जा विषमपोषी एवं अपघटकों तक जाती है जैसा कि ' ऊर्जा के स्रोत' नामक पिछले आलेख में हमने जाना था कि जब ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है, तो पर्यावरण में ऊर्जा की कुछ मात्रा का अनुपयोगी ऊर्जा के रूप में ह्रास हो जाता है।
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स्वपोषी से ऊर्जा विषमपोषी एवं अपघटकों तक जाती है जैसा कि ‘ ऊर्जा के स्रोत ' नामक पिछले आलेख में हमने जाना था कि जब ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है, तो पर्यावरण में ऊर्जा की कुछ मात्रा का अनुपयोगी ऊर्जा के रूप में ह्रास हो जाता है।