विकासनीय पृष्ठ विशेष रूप से इस विधि द्वारा निरूपणगम्य होते हैं।
3.
विकासनीय पृष्ठ के आधार पर किया हुआ विभाजन अधिक प्रामाणिक माना जाता है।
4.
विकासनीय पृष्ठ के आधार पर किया हुआ विभाजन अधिक प्रामाणिक माना जाता है।
5.
(2) जिस विकासनीय पृष्ठ पर चित्रण किया जाय उसके प्रकार के अनुसार अर्थात् समतलीय (
6.
तदुपरांत विकासनीय पृष्ठ (शंकु अथवा बेलन) को किसी विशेष देशांतर पर काटकर खोल दिया जाता है।
7.
तदुपरांत विकासनीय पृष्ठ (शंकु अथवा बेलन) को किसी विशेष देशांतर पर काटकर खोल दिया जाता है।
8.
(2) जिस विकासनीय पृष्ठ पर चित्रण किया जाय उसके प्रकार के अनुसार अर्थात् समतलीय (plane), शंकु (conical) अथवा बेलनाकार (cylindrical) प्रक्षेप
9.
किसी भी मानचित्र अथवा उसके किसी भी भाग की अक्षांश देशांतर रेखाओं को स्थानांतरित करने के लिये ग्लोब को किसी विकासनीय पृष्ठ (शंकु अथवा बेलन) से ढँककर अथवा किसी समतल धरातल को ग्लोब के किसी बिंदु पर स्पर्श करती हुई स्थिति में रखकर किसी द्युतिमान बिंदु से प्रकाश डाला जाता है और इस प्रकार अक्षांश देशांतर रेखाओं की छाया प्रक्षिप्त की जाती है।
10.
किसी भी मानचित्र अथवा उसके किसी भी भाग की अक्षांश देशांतर रेखाओं को स्थानांतरित करने के लिये ग्लोब को किसी विकासनीय पृष्ठ (शंकु अथवा बेलन) से ढँककर अथवा किसी समतल धरातल को ग्लोब के किसी बिंदु पर स्पर्श करती हुई स्थिति में रखकर किसी द्युतिमान बिंदु से प्रकाश डाला जाता है और इस प्रकार अक्षांश देशांतर रेखाओं की छाया प्रक्षिप्त की जाती है।