वभ्रु को पुत्रवत् नेह करती है, उलूपी और चित्रा से भेंट होती रहती है.
7.
उसे याद है वभ्रु अपने पिता से भेंट करने कौरव्य नाग के पुर गया था.
8.
जननी के रूप मे उसकी जो देख-रेख की चित्रा भी उपकृत हुई. और वभ्रु उसे मातृवत्..
9.
धनंजय स्वस्थ हो रहे हैं, उन्हें भान है महाराज चित्रवाहन और कुमार वभ्रु इस अचानक सैनिक अभियान से खिन्न हैं.
10.
बोले, ' साम्राज्ञी की आज्ञा का पालन हो. ' * उस दिन वभ्रु से कह कर उलूपी निचिंत नहीं हो पाई, कुछ अनिष्ट न घट जाये, उसे लगा इस समय मणिपुर में होना चाहिये.