| 1. | इस भाग में तीन खण्ड होते हैं, जो अग्रवक्ष (प्रोथोरेक्स Prothorax), मध्यवक्ष (मेसोथोरैक्स Mesothorax) और पश्चवक्ष (मेटाथोरेक्स Metathorax) कहलाते हैं।
|
| 2. | फुदकने वाले कीटों का अग्रवक्ष सबसे अधिक विकसित होता है, किंतु मध्यवक्ष और पश्चवक्ष का आकार पक्षों की परिस्थिति पर निर्भर करता है।
|
| 3. | फुदकने वाले कीटों का अग्रवक्ष सबसे अधिक विकसित होता है, किंतु मध्यवक्ष और पश्चवक्ष का आकार पक्षों की परिस्थिति पर निर्भर करता है।
|
| 4. | फुदकने वाले कीटों का अग्रवक्ष सबसे अधिक विकसित होता है, किंतु मध्यवक्ष और पश्चवक्ष का आकार पक्षों की परिस्थिति पर निर्भर करता है।
|
| 5. | महीन तथा दो परतों से बने होते हैं, जो मध्यवक्ष और पश्चवक्ष के पृष्ठीय भागों के किनारे से दाएँ बाएँ परत की भाँति विकसित होते हैं।
|
| 6. | महीन तथा दो परतों से बने होते हैं, जो मध्यवक्ष और पश्चवक्ष के पृष्ठीय भागों के किनारे से दाएँ बाएँ परत की भाँति विकसित होते हैं।
|
| 7. | महीन तथा दो परतों से बने होते हैं, जो मध्यवक्ष और पश्चवक्ष के पृष्ठीय भागों के किनारे से दाएँ बाएँ परत की भाँति विकसित होते हैं।
|
| 8. | इस भाग में तीन खण्ड होते हैं, जो अग्रवक्ष (प्रोथोरेक्स Prothorax), मध्यवक्ष (मेसोथोरैक्स Mesothorax) और पश्चवक्ष (मेटाथोरेक्स Metathorax) कहलाते हैं।
|