| 1. | नेत्रश्लेष्मलाशोथ के तीन प्रकार होते हैं – कष्टकारक, प्रत्यूर्ज (एलर्जिक), और रोगजनक।
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| 2. | दूध की प्रोटीन कुछ लोगों में प्रत्यूर्ज प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न कर सकती हैं।
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| 3. | प्रत्यूर्ज अनुक्रियाओं के विकारी शरीरक्रिया को दो प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है।
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| 4. | कीट विष: वयस्कों के लगभग १५% में हल्की स्थानिक प्रत्यूर्ज प्रतिक्रियाएँ होती हैं।
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| 5. | अन्य अनाजों की अपेक्षा चावल की प्रत्यूर्ज प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की कम संभावना है।
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| 6. | प्रत्यूर्ज (एलर्जिक) नेत्रश्लेष्मलाशोथ तब होता है जब आपकी आँख एक 'प्रत्यूर्जक' के संपर्क में आती है।
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| 7. | यह संभव है कि अधिक अमरीकी किसी अन्य खाद्यों की अपेक्षा मूँगफली के प्रति प्रत्यूर्ज हैं।
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| 8. | यदि रोगी पदार्थों के प्रति प्रत्यूर्ज है तब सामान्यतः ३०मिनट के अंदर एक प्रत्यक्ष प्रदाहक प्रतिक्रिया होती है।
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| 9. | प्रत्यूर्जनेत्रशोथ आँख में एक प्रत्यूर्जतोत्पादक कोई चीज़ जिसके प्रति व्यक्ति प्रत्यूर्ज हो के होने से भी उत्पन्न हो सकता है।
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| 10. | एक व्यक्ति प्रोटीन या तो केसिन या दूध के पानी वाले भाग और कभी-कभी दोनों के प्रति भी प्रत्यूर्ज हो सकता है।
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