स्वार्थ की इस ख्वाहिश को विश्वयारी के दर्शन की परार्थवादी तर्कसंगति मिल गयी।
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स्वार्थ की इस ख्वाहिश को विश्वयारी के दर्शन की परार्थवादी तर्कसंगति मिल गयी।
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आप परार्थवादी व्यवस्था का विरोध करते हैं और स्वार्थ की व्यवस्था का समर्थन करते हैं।
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सबसे पहले तो बात यह ध्यान में लेने जैसी है कि इस जगत में न तो कोई परार्थवादी पैदा हुआ है न हो सकता।
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मानस चक्र ' नाम का एक चक्र और भी अवस्थित है | यह चक्र विभिन्न प्रकार की संवेदनाओं का आधार है | मानस चक्र के ऊपर भी ‘ सोम चक्र ' नामक चक्र की उपस्थिति मानी गई है | यह परार्थवादी भावों का निवास स्थान है | इस पर ध्यान केंद्रित करने से संकल्प का नियंत्रण प्राप्त होता है |