| 1. | नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन् ॥५-१३॥
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| 2. | नो वा योगो न मृतिभवनं नैव जामित्र दोषो।
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| 3. | कमाद्यः शत्रवो मां वै पीड़ाम कुर्वन्तु नैव हि
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| 4. | त्वं चेत् कृपां मयि विधास्यसि नैव किं मे।
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| 5. | नैव स्त्री न पुमानेष न चैवायं नपुंसकः ।
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| 6. | न चाति स्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ॥६-१६॥
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| 7. | नो वा योगो न मृतिभवनं नैव जामित्र दोषो।
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| 8. | नो वा योगो न मृतिभवनं नैव जामित्र दोषो।
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| 9. | 2 कृतं किमपि नैव स्याद इति संचिन्त्य तत्त्वतः ।
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| 10. | पिता नैव मे नैव माता न जन्म।
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