| 1. | जननेन्द्रिय की पवित्रता का ही नाम ब्रह्मचर्य है।
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| 2. | (4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म
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| 3. | मस्तिष्क उत्तरी धु्व है और जननेन्द्रिय मूल-मूलाधार-दक्षिणी धु्रव ।
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| 4. | ब्रह्माचर्य उपस्थेन्द्रिय अर्थात् जननेन्द्रिय का संयम ब्रह्माचर्य कहलाता है।
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| 5. | (4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म
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| 6. | जननेन्द्रिय कभी उपद्रव करती ही नहीं ।
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| 7. | अण्डकोष तथा जननेन्द्रिय फूल जाते हैं ।
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| 8. | उसकी जननेन्द्रिय भी दूसरा रूप ले लेगी,
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| 9. | (4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म
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| 10. | स्त्री जननेन्द्रिय से सम्बन्धित लक्षण:-
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