कह सकते हैं कि अपराधबोध का रसायन इस घातक तरीके से उसके जेहन में फैल चुका था कि संतानहीनता की पीड़ा का कड़ुआपन फीका पड़ गया था उसके आगे।
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आपको जान कर आश्चर्य होगा कि चाय के पेड़ की उम्र लगभग सौ वर्ष होती है किन्तु अधिक उम्र के चाय पेड़ों की पत्तियों के स्वाद में कड़ुआपन आ जाने के कारण प्रायः चाय बागानों में पचास साठ वर्ष बाद ही पुराने पेड़ों को उखाड़ कर नये पेड़ लगा दिये जाते हैं।
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आपको जान कर आश्चर्य होगा कि चाय के पेड़ की उम्र लगभग सौ वर्ष होती है किन्तु अधिक उम्र के चाय पेड़ों की पत्तियों के स्वाद में कड़ुआपन आ जाने के कारण प्रायः चाय बागानों में पचास साठ वर्ष बाद ही पुराने पेड़ों को उखाड़ कर नये पेड़ लगा दिये जाते हैं।
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सफर की शुरुआत में चलते हैं धान के देश में, जहां जी.के. अवधिया जी बता रहे हैं, ‘'चाय के पेड़ की उम्र लगभग सौ वर्ष होती है किन्तु अधिक उम्र के चाय पेड़ों की पत्तियों के स्वाद में कड़ुआपन आ जाने के कारण प्रायः चाय बागानों में पचास साठ वर्ष बाद ही पुराने पेड़ों को उखाड़ कर नये पेड़ लगा दिये जाते हैं।