दूसरी श्रेणी में वे लोग हैं जिन्होंने लघुकथा के रचनात्मक और आलोचनात्मक-दोनों पक्षों पर काम तो यथेष्ट किया लेकिन व्यावहारिक स्तर पर वे स्वयं को मर्यादित न रख सके जिसके कारण लघुकथा की विधापरक प्रतिष्ठा, गरिमा और सम्मान-तीनों ही, विद्वत् आलोचक-वर्ग के बीच लगातार क्षत हुए।