पद्मराग मोती विषाक्त अनूर्जता को तत्काल नष्ट कर देती है.
2.
बेहद सर्दी जुकाम में, नासा की अनूर्जता (एलर्जी) में, तंत्रिका में विषाणु ।
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यह एक बहुत ही सघन प्रभाव वाला विष एवं अनूर्जता अवरोधी पदार्थ होता है.
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यह एक बहुत ही सघन प्रभाव वाला विष एवं अनूर्जता अवरोधी पदार्थ होता है.
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किन्तु इनकी थोड़ी भी युति यदि अशुद्धता या अशुभता से हो जाती है तो इन्हें स्वाभाविक अनूर्जता का शिकार हो जाना पड़ता है।
6.
वातावरण में मदिरा की गंध है, वायु में रंग-बिरंगे विषैले सूक्ष्म चूर्णों के बादल हैं जो मानव शरीर में अनूर्जता उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त हैं.
7.
यह छूत का रोग है, इसके निश्चित कारण अज्ञात हैं पर नमक, मिर्च, मीठे का अति सेवन, दिन में या ज्यादा सोने, कृमि रोग, अनेक मनोविकारों, अम्ल पित्त तथा अनूर्जता के कारण यह रोग बार-बार होता रहता है।