शुल्क सूत्र-यज्ञ स्थल तथा अग्निवेदी के निर्माण तथा माप से सम्बंधित नियम इसमें हैं।
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शुल्क सूत्र-यज्ञ स्थल तथा अग्निवेदी के निर्माण तथा माप से सम्बंधित नियम इसमें हैं।
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शुल्क सूत्र-यज्ञ स्थल तथा अग्निवेदी के निर्माण तथा माप से सम्बंधित नियम इसमें हैं।
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उस समय शास्त्र ही अग्निवेदी के चारों ओर बिछाने के लिए कुश या कास के पत्ते थे ।
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इन स्थानों के कुछ विशिष्ट नाम भी हैं जैसे अग्निकुण्ड, अग्निवेदी, अग्निगृह, अग्निधान, अग्निष्ठस्।
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यह भी माना जाता है कि प्राचीन भारतीयों ने सूर्य के निरंतर उदित और अस्त होने के क्रम के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए अग्निवेदी की परिक्रमा शुरू की होगी ।
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यह भी माना जाता है कि प्राचीन भारतीयों ने सूर्य के निरंतर उदित और अस्त होने के क्रम के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए अग्निवेदी की परिक्रमा शुरू की होगी ।
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विकासक्रम मे मनुष्य ने देखा कि यज्ञोपरांत अग्निवेदी के ताप से मिट्टी की शिलाएँ अर्थात ईंटें बेहद मज़बूत हो गई हैं सो उसने इनसे भवन निर्माण शुरू किया और ऐसे भवनों को इष्टालयम या इष्टगृहम् कहा गया।
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विकासक्रम मे मनुष्य ने देखा कि यज्ञोपरांत अग्निवेदी के ताप से मिट्टी की शिलाएँ अर्थात ईंटें बेहद मज़बूत हो गई हैं सो उसने इनसे भवन निर्माण शुरू किया और ऐसे भवनों को इष्टालयम या इष्टगृहम् कहा गया।