एक-एक कल्प बीतने पर उनके शरीर का एक-एक लोम विशीर्ण होता है, टूट का गिरता है, इसीलिए उनका नाम लोमेश हुआ है, वे महामुनि तीनो कालों की बातें जानते हैं।
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लोमेश पटेल भोथीडिह का जसगीत, लक्ष्मीकांत सेन रायपुर का त्रिव्त बैंड, डी. एन. नंबदूरी खैरागढ़ का तालकचहरी, अश्वनी शर्मा भिलाई का भजन, अमर श्रीवास भिलाई का लोकमंच, दुकालु यादव रायपुर का जगराता, सहित विशेष आकर्षण ‘मर्यादा पुरषोत्तम' लाईट एंड साउंड का कार्यक्रम होगा।
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डॉ. मधु लोमेश, “२१ वि सदी में भारत में जाति आधारीत जनगणना मान्य नहीं होने चहिये.यदि भारत में जाति आधारीत जनगणना होगी तो विभेद संकीर्ण सोच विकसित कर समस्याओं को जन्म दगी और इसका लाभ राजनितिक रोटियां सकने में अधिक होगा |इसलिए जाति आधारीत जनगणना के मापदंड लागू नहीं होने चहिये |”
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महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, गुरु गोविंद सिंह, समर्थ गुरु रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों ने, संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों / कविताओंकी रचना की है।
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प्रजापती दक्ष का शिव विरोधी होने के कारण सर्वनाश हूआ, यद्यपि वे विष्णू भगवान की शरण में था | ठीक उसी प्रकार परम शिव भक्त होने के बाद भी ॠषि कागभूषंडी को अपने ही इष्ट का क्रोधभाजन बनना पडा तथा उनकी सिद्धियां नष्ट हूईं | कारण उन्होंने भगवान विष्णू के अवतार श्री राम का अनादर किया तथा तथा अपने तत्वज्ञानी गूरू लोमेश को वैष्णव जान उनकी अवहेलना की | वास्तव में लोमेश जैसे ज्ञानी ही परंज्ञान के अधिकारी होते हैं |
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प्रजापती दक्ष का शिव विरोधी होने के कारण सर्वनाश हूआ, यद्यपि वे विष्णू भगवान की शरण में था | ठीक उसी प्रकार परम शिव भक्त होने के बाद भी ॠषि कागभूषंडी को अपने ही इष्ट का क्रोधभाजन बनना पडा तथा उनकी सिद्धियां नष्ट हूईं | कारण उन्होंने भगवान विष्णू के अवतार श्री राम का अनादर किया तथा तथा अपने तत्वज्ञानी गूरू लोमेश को वैष्णव जान उनकी अवहेलना की | वास्तव में लोमेश जैसे ज्ञानी ही परंज्ञान के अधिकारी होते हैं |
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मधु लोमेश ने शायद वन्देमातरम पर की जाने वाली आपतियों की तह नहीं देखि है ये बहस बन्दे और वन्दे की नहीं बात सिम्ब्लिस्म की है …..आपने इस पोस्ट जो तस्वीर लगायी है वो आपके लिए भारत हो सकता है हमारे और कम से कम मेरे लिए कतई नहीं……याद दिलाता चलूँ की ये सिम्बल सहारा श्री सुब्रत जी ने अपनी कंपनी के प्रचार के लिए तैयार किया है (वो भले ही भारत पर्व की बात में मिलकर…..और भारत पर्व भी उनकी कंपनी का प्रचार ही