दिनांक 14. 7.2009 श्री पंकज कुमार, मुख्य अधिशासी अधिकारी, छावनी परिषद, रानीखेत द्वारा विपक्षी-निगरानीकर्ता को नोटिस इस सम्बन्ध में भेजा गया कि नोटिस का अनुपालन न करने के कारण उसके उपर छावनी अधिनियम 2006 की धारा 157,284,289 एवं 333 के अन्तर्गत संयुक्त रूप से रू0 2500/-का जुर्माना लगाते हुये निर्देशित किया जाता है कि वह तत्काल छावनी क्षेत्र में सुअर पालन बन्द करें, अन्यथा उसके विरूद्ध भारी जुर्माना लगाते हुये सुअरों को जब्त कर लिया जायेगा।
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दिनांक 14. 7.2009 को श्री पंकज कुमार, मुख्य अधिशासी अधिकारी, छावनी परिषद, रानीखेत द्वारा विपक्षी-निगरानीकर्ता को नोटिस इस सम्बन्ध में भेजा गया कि नोटिस का अनुपालन न करने के कारण उसके उपर छावनी अधिनियम 2006 की धारा 157,284,289 एवं 333 के अन्तर्गत संयुक्त रूप से रू0 2500/-का जुर्माना लगाते हुये निर्देशित किया जाता है कि वह तत्काल छावनी क्षेत्र में सुअर पालन बन्द करें, अन्यथा उसके विरूद्ध भारी जुर्माना लगाते हुये सुअरों को जब्त कर लिया जायेगा।
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निगरानीकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जवाब देते हुये यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि अर्थदण्ड से दण्डित करने का क्षेत्राधिकार न्यायालय को है और छावनी परिषद को नहीं है और यदि छावनी परिषद द्वारा अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का कोई गलत आदेश पारित कर दिया जाता है तो वह धारा 64 (गगपपप) छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत नहीं आता है और न्यायालय उक्त अर्थदण्ड को छावनी अधिनियम की धारा 324 के अन्तर्गत वसूल नहीं कर सकती है।
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निगरानीकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जवाब देते हुये यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि अर्थदण्ड से दण्डित करने का क्षेत्राधिकार न्यायालय को है और छावनी परिषद को नहीं है और यदि छावनी परिषद द्वारा अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का कोई गलत आदेश पारित कर दिया जाता है तो वह धारा 64 (गगपपप) छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत नहीं आता है और न्यायालय उक्त अर्थदण्ड को छावनी अधिनियम की धारा 324 के अन्तर्गत वसूल नहीं कर सकती है।
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उक्त पत्रावली के अवलोकन से यह परिलक्षित होता है कि छावनी परिषद रानीखेत द्वारा अपने वरिष्ठ अधिशासी अधिकारी के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 324 (1) (2) छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत न्यायिक मजि0, रानीखेत के न्यायालय में इन कथनों के साथ योजित किया कि प्रार्थी छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत एक निकाय है तथा उक्त अधिनियम के अन्तर्गत वरिष्ठ अधिशासी अधिकारी के माध्यम से कोई भी वाद न्यायिक मजि0, रानीखेत के न्यायालय में योजित करने के लिये सक्षम है।
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उक्त पत्रावली के अवलोकन से यह परिलक्षित होता है कि छावनी परिषद रानीखेत द्वारा अपने वरिष्ठ अधिशासी अधिकारी के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 324 (1) (2) छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत न्यायिक मजि0, रानीखेत के न्यायालय में इन कथनों के साथ योजित किया कि प्रार्थी छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत एक निकाय है तथा उक्त अधिनियम के अन्तर्गत वरिष्ठ अधिशासी अधिकारी के माध्यम से कोई भी वाद न्यायिक मजि0, रानीखेत के न्यायालय में योजित करने के लिये सक्षम है।
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उक्त नोटिस के उपरान्त दिनांक 8 सितम्बर, 2009 को मुख्य अधिशासी अधिकारी, छावनी परिषद, रानीखेत द्वारा विपक्षी-निगरानीकर्ता को नोटिस इस बाबत भेजा गया कि नोटिस का अनुपालन न करने की स्थिति में उसक विरूद्ध छावनी अधिनियम 2006 की धरा 284 के अन्तर्गत रू0 1500/-एवं धारा 289 के अन्तर्गत रू0 1000/-कुल रू0 2500/-का जुर्माना लगाया गया है, अतः वह 30 दिन के अन्दर जुर्माने की धनराशि छावनी कार्यालय में जमा कर दें अन्यथा उसक विरूद्ध खर्चे सहित जुर्माना वसूली की कार्यवाही की जायेगी।
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उक्त नोटिस के उपरान्त दिनांक 8 सितम्बर, 2009 को मुख्य अधिशासी अधिकारी, छावनी परिषद, रानीखेत द्वारा विपक्षी-निगरानीकर्ता को नोटिस इस बाबत भेजा गया कि नोटिस का अनुपालन न करने की स्थिति में उसक विरूद्ध छावनी अधिनियम 2006 की धरा 284 के अन्तर्गत रू0 1500/-एवं धारा 289 के अन्तर्गत रू0 1000/-कुल रू0 2500/-का जुर्माना लगाया गया है, अतः वह 30 दिन के अन्दर जुर्माने की धनराशि छावनी कार्यालय में जमा कर दें अन्यथा उसक विरूद्ध खर्चे सहित जुर्माना वसूली की कार्यवाही की जायेगी।
29.
निम्न न्ययालय द्वारा अपना आदेश पारित करते समय इस महत्वपूर्ण विधिक बिन्दु पर ध्यान नहीं किया कि छावनी परिषद रानीखेत अथवा उसके मुख्य अधिशासी अधिकारी को निगरानीकर्ता / विपक्षी को धारा 284/289 छावनी अधिनियम 2006 क अधीन अर्थदण्ड से दण्डित करने का कानूनी अधिकार नहीं है तथा छावनी परिषद रानीखेत द्वारा निगरानीकर्ता को दिये गये कथित अवैध अर्थदण्ड को धारा 324 छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत वसूली करने का निम्न न्यायालय का प्रश्नगत आदेश कानूनन समायत योग्य नहीं है तथा निम्न न्यायालय का आदेश विधि के विपरीत है।
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निम्न न्ययालय द्वारा अपना आदेश पारित करते समय इस महत्वपूर्ण विधिक बिन्दु पर ध्यान नहीं किया कि छावनी परिषद रानीखेत अथवा उसके मुख्य अधिशासी अधिकारी को निगरानीकर्ता / विपक्षी को धारा 284/289 छावनी अधिनियम 2006 क अधीन अर्थदण्ड से दण्डित करने का कानूनी अधिकार नहीं है तथा छावनी परिषद रानीखेत द्वारा निगरानीकर्ता को दिये गये कथित अवैध अर्थदण्ड को धारा 324 छावनी अधिनियम 2006 के अन्तर्गत वसूली करने का निम्न न्यायालय का प्रश्नगत आदेश कानूनन समायत योग्य नहीं है तथा निम्न न्यायालय का आदेश विधि के विपरीत है।